हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ. इमाम हसन अ०स० के यौमे शहादत और उस्तादुल फोक़्हा वल मुज्तहिदीन आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अबुल क़ासिम ख़ूई र०अ० के यौमे वफात पर दफतरे नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी द० ज़ि० लखनऊ में मजलिसे अज़ा मुनअक़िद हुई, मौलाना अली मुहम्मद मारूफी ने तेलावते क़ुरआन से मजलिस का आग़ाज़ किया और बारगाहे इमामत में मंजूम नज़राने अक़ीदत पेश किया, मौलाना हसन अब्बास मारूफी ने इमाम हसन अ०स० और इल्म व आलिम के सिलसिले में कलाम पेश किया!
मरजये आला दीनी आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली हुसैनी सीस्तानी द० ज़ि० के नुमायंदे हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद अशरफ अली ग़रवी साहब क़िब्ला ने सूरह निसा की आयत न० 80 "जो रसूल की इताअत करे गा उस ने अल्लाह की इताअत की और जो मुंह मोड़ ले गा तो हम ने आप को उसका ज़िम्मेदार बना कर नहीं भेजा है!" को सरनामे कलाम क़रार देते हुए हदीस रसूल स०अ० बयान कि "जिस ने अली अ०स० की इताअत की उसने मेरी इताअत की."
मौलाना सैयद अशरफ अली ग़रवी ने इमाम हसन अ०स० के फज़ायेल बयान करते हुए फरमाया: इमाम हसन अ०स० गुलिस्ताने रिसालत के पहले फूल हैं, नीज़ सुल्ह का तफसील से ज़िक्र किया!
मौलाना सैयद अशरफ अली ग़रवी ने उस्तादुल फोक़्हा वल मुज्तहिदीन आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अबुल क़ासिम ख़ूई र०अ० का ज़िक्र करते हुए फरमाया आप फिक़्ह व उसूल, कलाम व तफसीर के माहिर थे और बहुत से उलमा, फ़ोक़्हा और मुज्तहिदीन की तर्बियत की, नाम नुमूद, शोहरत से आप दूर थे और हमारे दीगर तमाम मराजे इस रूहानी बीमारी नाम व नुमूद और शोहरत से दूर रहे हैं! जो हम सब के लिये दर्स है!
मौलाना सैयद अशरफ अली ग़रवी ने रसूलुल्लाह स०अ० के बाद लोगों का नज़रया कि एक ही ख़ानदान में रेसालत और ख़ेलाफत नहीं हो सकती बयान किया कि इस्लाम में मेयार न ख़ानदान का होना है और न ही ख़ानदान का न होना है बल्कि मेयार अहेल होना, अगर इंसान अहेल है तो चाहे ख़ानदान का हो या ख़ानदान का न हो उसे उसका हक़ देना चाहिये!